रायपुर. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने जलसंसाधन विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता (सीई) रामानन्द दिव्य की 5 करोड़ 45 लाख 46 हजार 381 रुपए की चल-अचल संपत्ति शुक्रवार को कुर्क कर लिया है। इसमें 55.95 लाख नकदी सहित रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर-चांपा जिले में कृषि भूमि और प्लॉट शामिल हैं। इन सभी संपत्ति पर खरीद-फरोख्त, हस्तांतरण, गिरवी रखने और बैंक खातों में लेनदेन पर रोक लगाई गई। ईडी द्वारा यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (मनीलाड्रिंग) एक्ट 2002 के तहत की गई है।
कोरबा में 38 करोड़ रुपए की लागत से सर्वेश्वर एनीकट बनाया जाना था। बाद में इसकी लागत 60 करोड़ रुपए हो गई थी। इसके निर्माण को लेकर भ्रष्टाचार की शिकायत 2017 में ईओडब्ल्यू में की गई थी। जांच में मुख्य अभियंत रामानंद दिव्य सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। वहीं करोडों रुपए के बंदरबाट को देखते हुए मामला ईडी को जांच के लिए भेजा गया था।
परिजनों के नाम संपत्ति
जांच में खुलासा हुआ कि अधिकांश अचल संपत्तियां रामानन्द दिव्य ने अपनी पत्नी प्रियदर्शिनी दिव्य के नाम से खरीदी गई थीं। भ्रष्टाचार के जरिए अर्जित की गई रकम को आरोपी अफसर द्वारा रकम को मनीलॉन्ड्रिंग के जरिए अपने खातों में जमा कराया। साथ ही चल-अचल संपत्तियां भी खरीदी। वहीं रिश्तेदारों के बैंको में नकद जमा कराकर उसे उपहार या असुरक्षित ऋण के रूप में अपने खातों में लाने के बाद फिर संपत्ति खरीदी गई।
साथ ही पकड़े जाने के डर से संपत्तियों की खरीदी के लिए धन का वैध स्रोत दिखाने के लिए नकली विक्रय विलेख भी तैयार करवाया। बताया जाता है कि यह सभी अचल संपत्तियों की खरीदी और विक्रय कुछ महीनों के अंतराल पर की गई ताकि खरीदी में लगने वाली पूंजी का स्रोत को दिखाया जा सके। जबकि इन सभी के खरीदी का मूल स्रोत अवैध रूप से अर्जित आय शामिल थी।
इस तरह की हेराफेरी पकड़ी गई
ईडी के अधिकारी ने बताया कि 2.13 करोड़ रुपए का भुगतान संपत्तियों की खरीद के लिए नकद में किया गया। वहीं 66 लाख का भुगतान नकद में विभिन्न संपत्तियों के लिए पंजीकृत विक्रय विलेख में अतिरिक्त किया गया था। साथ ही संपत्तियों को फिर नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) द्वारा मुआवजा देकर अधिग्रहित किया गया। जांच के दौरान नकदी का आरोपी और उसके परिवार के सदस्यों के द्वारा कोई उचित स्रोत नहीं बताया गया। ईडी द्वारा पूरे मामले की जांच की जा रही है।